28 वर्षीय व्यक्ति को गाजा शहर से विस्थापित किया गया था, लेकिन उसने उन्हीं परिस्थितियों का सामना कर रहे लोगों के लिए खाना बनाना शुरू कर दिया. उन्होंने एएफपी को बताया, “मेरे लिए सबसे कठिन क्षण वह होता है, जब मैं भोजन बांटता हूं.” उन्होंने कहा, “जब मेरे पास खाना नहीं होता और बच्चे शिकायत करते हैं और कहते हैं कि उन्होंने भरपेट नहीं खाया, तो मेरे दिल में एक पीड़ा होती है.” ऐसे में भोजन बनाने में जुटे ज्यादातर लोग अपना खाना बच्चों को दे देते हैं.
अकाल का खतरा
संयुक्त राष्ट्र की हंगर मॉनिटरिंग सिस्टम (IPC) के अनुसार, दिसंबर की शुरुआत तक 20 लाख से अधिक गाजावासी पहले से ही गंभीर भूखमरी का सामना कर रहे थे… 3,78,000 से अधिक लोग “विनाशकारी भूख” का अनुभव कर रहे हैं. आईपीसी की रिपोर्ट में गुरुवार को कहा गया कि अकाल का खतरा है, जो “हर दिन बढ़ रहा है” और उन्होंने चेतावनी दी है कि कुछ ही हफ्तों में पूरी आबादी को “गंभीर खाद्य असुरक्षा” या इससे भी बदतर स्थिति का सामना करना पड़ेगा.
गाजा में 20,200 से अधिक लोग मारे गए…
बता दें कि मानवीय सहायता केवल घिरे हुए तटीय क्षेत्र में पहुंच रही है, जिस पर इजरायल की सेना 7 अक्टूबर से हमला कर रही है. इजरायली आंकड़ों की एएफपी तालिका के अनुसार, हमास को नष्ट करने के उद्देश्य से निरंतर जमीनी और हवाई अभियान, इजरायल पर इस्लामी समूहों के हमले के कारण शुरू हुआ था, जिसमें लगभग 1,140 लोग मारे गए थे, इनमें ज्यादातर नागरिक थे. हमास द्वारा संचालित क्षेत्र में स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायल की जवाबी कार्रवाई में 20,200 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं.
‘भूख से मरने से बेहतर…’
नाजी ने कहा, “बीन्स का एक कैन एक शेकेल ($0.28) से बढ़कर छह शेकेल हो गया है. युद्ध से पहले लोग गरीब थे, यहां तक कि जो लोग काम करते थे उनके पास भी अपने बच्चों को खिलाने के लिए मुश्किल से पैसा था. अब वे कैसे इस स्थिति का सामना कर रहे होंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. मुझे डर है कि लोग भूख से मर जायेंगे….”
सुबह 36 साल के सलाम हैदर फूड सेंटर के बाहर कतार में खड़े थे. तीन छोटे बच्चों की मां ने कहा, “उन्होंने मुझसे कहा कि यह बहुत जल्दी है, लेकिन मैं यह सुनिश्चित करना चाहती हूं कि मुझे कुछ मिले. मेरा बेटा रोता है, जब वह दूसरे बच्चे को रोटी का टुकड़ा पकड़े हुए देखता है. उसने दूसरे बच्चे से मिठाई चुराने की कोशिश की, मुझे उसे बताना पड़ा कि यह बहुत बुरी बात है.”
पांच महीने की गर्भवती और खान यूनिस से विस्थापित नूर बारबाख भी राफा में केंद्र के खुलने से पहले घंटों इंतजार कर रही थी. बारबाख ने कहा, “कभी-कभी मैं अपने 12 साल के बड़े बेटे को भेजता हूं, लेकिन उसे पीटा जाता है. वह रोता हुआ और खाली हाथ वापस आता है.” अगर यह केंद्र नहीं होता, तो हमारे पास कुछ भी नहीं होता,” उसने अपने हाथ में तीन टमाटर और दो शेकेल पकड़े हुए कहा, “मुझे कोई रोटी नहीं मिली”. उन्होंने कहा, “मेरे बच्चों का वजन बहुत कम हो गया है, भूख उन्हें रात में जगा देती है,” उन्होंने कहा कि वह खान यूनिस में अपने घर लौटने पर विचार कर रही हैं, बावजूद इसके कि वो इजरायल और हमास के बीच लड़ाई का केंद्र है. उन्होंने कहा, “भूख से मरने से बेहतर है घर पर शहीद होकर मरना.”
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