शिवसेना शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता पर 10 जनवरी तक करें फैसला, SC का महाराष्ट्र स्पीकर को आदेश

खास बातें

  • एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में शिवसेना से की थी बगावत
  • शिंदे गुट ने शिवसेना और पार्टी के चुनाव चिह्न पर भी किया दावा
  • अजीत पवार भी NCP से बगावत कर शिंदे-बीजेपी सरकार में हो गए थे शामिल

नई दिल्ली:

शिवसेना शिंदे गुट अयोग्यता (Shiv Sena Shinde Faction MLAs Disqualification) मामले में शुक्रवार (15 दिसंबर) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई. महाराष्ट्र स्पीकर (Maharashtra Speaker Rahul Narvekar) की ओर से शिवसेना विधायक अयोग्यता मामले में विधानसभा सचिवालय ने सुप्रीम कोर्ट से 3 हफ्ते का समय बढ़ाने की गुहार लगाई है. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र स्पीकर को 10 जनवरी 2024 तक शिवसेना शिंदे गुट की अयोग्यता पर फैसला लेने को कहा है. इससे पहले कोर्ट ने स्पीकर को 31 दिसंबर तक अयोग्यता मामले पर फैसला देने के लिए कहा था. वहीं कोर्ट ने NCP मेंटूट और अजीत पवार गुट की बगावत के मामले में स्पीकर को 31 जनवरी 2024 तक फैसला देने को कहा है.  

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स्पीकर की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कहा, “स्पीकर राहुल नार्वेकर को 31 दिसंबर तक अयोग्यता पर फैसला करने का आदेश दिया गया था. स्पीकर विधानसभा का सत्र चलने के दौरान भी सुबह 8 से रात 9 बजे तक इस इस मामले की सुनवाई करते रहे. अब तक 2.71 लाख पेज दाखिल किए गए हैं. अभी तक 839 सुनवाई हो चुकी हैं. स्पीकर ने 20 दिसंबर को कार्रवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखने की डेडलाइन तय की है. स्पीकर को आदेश देने के लिए तीन हफ्ते का वक्त चाहिए.” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम स्पीकर की ओर से अर्जी तलाश रहे थे. हमें अर्जी मिली नहीं. बाद में कोर्ट ने स्पीकर को फैसला लेने के लिए 10 जनवरी की मोहलत दे दी.

 

सुप्रीम कोर्ट शिवसेना (उद्धव ठाकरे) पार्टी के सांसद सुनील प्रभु की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इसमें महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर को एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर को महाराष्ट्र के स्पीकर राहुल नार्वेकर को शिवसेना पार्टी में विभाजन के बाद उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए समय सीमा देने का मौका दिया था. शीर्ष अदालत ने कहा था कि अयोग्यता याचिकाओं पर जल्द से जल्द फैसला आना चाहिए. इसके बाद सुनवाई को 30 अक्टूबर तक के लिए टाल दिया गया था. 30 अक्टूबर को सुनवाई हुई और इसमें विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को 31 दिसंबर तक का समय दिया गया था. अब यह डेडलाइन 10 जनवरी तक बढ़ा दी गई है.

एकनाथ शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि विधायकों को अयोग्य घोषित कराने के लिए उद्धव गुट की ओर से जो दस्तावेज दिए गए हैं, वे कथित तौर पर फर्जी हैं. महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेते हैं तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित उनके गुट के 33 विधायकों की किस्मत का फैसला होगा. साथ ही मौजूदा महाराष्ट्र सरकार का भी भविष्य तय होगा.

एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में की थी बगावत

शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में पार्टी से बगावत की थी. इसके बाद शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई. खुद मुख्यमंत्री बन गए. 

शिवसेना और पार्टी के चुनाव चिह्न पर भी किया दावा

शिंदे ने शिवसेना पर अपना दावा कर दिया.16 फरवरी 2023 को चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना मान लिया. साथ ही शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चिह्न (तीर-कमान) को इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी. उद्धव गुट ने चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

फडणवीस ने कहा था- अयोग्य हुए तब भी CM रहेंगे शिंदे

इससे पहले ​29 अक्टूबर को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधायकों की अयोग्यता मामले पर बयान दिया था. उन्होंने मराठी मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा. उनका केस मजबूत है. फडणवीस ने कहा था, “अगर ऐसा हुआ भी तो वो अपना कार्यकाल बतौर मुख्यमंत्री ही पूरा करेंगे. हम उनका पद बरकरार रखने के लिए उन्हें MLC के रूप में चुन लेंगे.”

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