विष्णुदेव साय का चुनाव करीब एक सप्ताह के विचार-विमर्श के बाद किया गया है. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में आदिवासी नेता को लाने के विचार के अनुरूप है, जहां आदिवासियों की आबादी 32 प्रतिशत है. ओबीसी के बाद राज्य में आदिवासी सबसे बड़ा जनसंख्या समूह हैं. यह ऐसी स्थिति है, जिसने शुरुआत में भाजपा को आदिवासी और ओबीसी में से चुनने को लेकर उलझा दिया था.
हालांकि प्रदेश के आदिवासी इलाकों में पार्टी के अभूतपूर्व प्रदर्शन को देखते हुए यह निर्णय आदिवासियों के पक्ष में गया. भाजपा आदिवासियों की पसंदीदा सूची में कभी भी शीर्ष पर नहीं थी. हालांकि इस बार पार्टी उनका मूड बदलने और आदिवासी बहुल सरगुजा क्षेत्र की सभी 14 विधानसभा सीटों और बस्तर की 12 में से आठ सीटों पर कब्जा करने में कामयाब रही.
भाजपा नेताओं ने बताया कि रविवार को यहां पार्टी पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों के दल ने साय को अपना नेता चुना. उन्होंने बताया कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने साय के नाम का प्रस्ताव किया तथा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल ने उनका समर्थन किया.
विष्णुदेव साय ने मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा के बाद कहा, “…मैं पूरी ईमानदारी से ‘सबका विश्वास’ के लिए काम करूंगा और ‘मोदी की गारंटी’ के तहत छत्तीसगढ़ की जनता से किए गए वादे पूरे करूंगा. प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में हम वादों को पूरा करने का प्रयास करेंगे. पहला काम लोगों को 18 लाख आवास देना होगा…”
#WATCH | On becoming the new Chief Minister of Chhattisgarh, Vishnu Deo Sai says, “…With all honesty I will work for ‘Sabka Vishwas’ & the promises made to the people of Chhattisgarh under ‘Modi Ki Guarantee’ will be fulfilled. As a CM of the state, we will try to fulfil the… pic.twitter.com/hYEnV69hkK
— ANI (@ANI) December 10, 2023
भाजपा नेताओं ने बताया कि पार्टी के नव निर्वाचित विधायकों की दोपहर बाद बैठक आयोजित की गई जिसमें पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, सर्बानंद सोनोवाल तथा पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम उपस्थित थे. उन्होंने बताया कि भाजपा के प्रदेश कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में आयोजित इस बैठक में प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, केंद्रीय मंत्री और चुनाव सह प्रभारी डॉक्टर मनसुख मांडविया, भाजपा संगठन सह प्रभारी नितिन नबीन, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह भी मौजूद थे.
सरपंच से सीएम तक का सफर
विष्णुदेव साय ने अपना राजनीतिक सफर सरपंच से शुरू किया था. साथ ही साय 1990 से लेकर 1998 तक मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य भी रह चुके हैं.
केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं साय
इसके साथ ही साय 1999 में 13वीं लोकसभा के लिए रायगढ़ से निर्वाचित हुए थे. उन्हें 2006 में छत्तीसगढ़ में पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. साय केंद्र में राज्य मंत्री भी रह चुके हैं.
आरएसएस के करीबी हैं साय
59 साल के साय को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी पसंदीदा माना जाता है. इसके साथ ही वह पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के करीबी हैं, जो राज्य में पार्टी के सबसे बड़े नेता रहे हैं.
चुनाव में भाजपा ने जीती 54 सीटें
बता दें कि छत्तीसगढ़ की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए हाल में संपन्न चुनाव में भाजपा ने 54 सीट पर जीत दर्ज की है और भूपेश बघेल नीत कांग्रेस सरकार को अपदस्थ कर दिया है. कांग्रेस को चुनाव में 35 सीटों पर जीत मिली है, जबकि 2018 में उसे 68 सीटों पर सफलता मिली थी.
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