NDTV इस बीच रैट होल माइनर्स के लीडर मुन्ना कुरैशी के घर पहुंची. 29 साल के मुन्ना कुरैशी दिल्ली की एक ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग कंपनी में काम करते हैं. यह कंपनी सीवर लाइन और पानी की लाइनों की सफाई करती है. कुरैशी इस कंपनी की रैट माइनिंग टीम का हिस्सा हैं.
मुफलिसी में गुजरती है जिंदगी
कुरैशी पूर्वोत्तर दिल्ली में खजूरी खास के श्रीराम कॉलोनी की गलियों में एक किराये के कमरे में रहते हैं. 10×8 के इस कमरे के अंदर ही किचन का इंतजाम है. उनकी जिदंगी मुफलिसी में कटती है. कमरे में जरूरत के सामानों में सिर्फ टीन के तीन संदूक, लकड़ी की एक छोटी अलमारी, खाना बनाने के लिए एक गैस चूल्हा और एक सिंगल साइज का बेड है. यहां मुन्ना और उनके तीन बच्चे सोते हैं.
कोरोनाकाल में पत्नी की हो गई मौत
कोरोनाकाल में अच्छा इलाज नहीं मिल पाने की वजह से मुन्ना कुरैशी की पत्नी की मौत हो गई. परिवार के नाम पर मु्न्ना और उनके 3 बच्चे ही हैं. चारों इसी कमरे में रहते हैं.
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मजदूरों के रेस्क्यू के बाद देशभर से मिला प्यार
NDTV से बात करते हुए मुन्ना कुरैशी रो पड़ते हैं. उन्होंने भावुक होते हुए कहा, “मेरा सफर बचपन से ही मुश्किलों से भरा रहा है. पहले मुझे बहुत अफसोस महसूस होता था. लेकिन आज मजदूरों के लिए मुझे खुशी महसूस होती है. ये मेरे खुशी के आंसू हैं. मजदूरों के रेस्क्यू के बाद मुझे देशभर से लोगों का प्यार और सम्मान मिला. इसकी मुझे कभी उम्मीद नहीं थी. मेरे 41 मजदूर भाइयों की जान बच गई. मेरे लिए इससे बड़ी बात और कुछ नहीं है.”
मजदूरों के लिए अपनी परेशानियां भूल गया- कुरैशी
मुन्ना कुरैशी कहते हैं, “टनल से बाहर निकलने को लेकर मजदूरों की खुशी देखने के बाद मैं अपना गम, अपनी परेशानियां भूल गया. मुझे नहीं पता कि वो परेशानी क्या थी और क्या नहीं थी. मगर मजदूर भाइयों ने मुझे इतना प्यार दिया कि उसके आगे में अपना सारा दुख भूल चुका हूं.”
मजदूरों से मिलने पर कैसा था रिएक्शन?
इस सवाल के जवाब में मुन्ना कुरैशी कहते हैं, “मैंने सुरंग के अंदर का आखिरी पत्थर हटाया, तो वहां फंसे लोग मुझे देखकर खुशी से झूम उठे. उन्होंने मुझे गले से लगा लिया. खाने के लिए बादाम दिए. पानी पिलाया. हम पिछले 24 घंटे से काम कर रहे थे. उन्होंने मुझे जो इज्जत दी वह मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकता. पीएम मोदी ने भी रैट होल माइनर्स की तारीफ की है. उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने तो मुन्ना कुरैशी को गले लगाया था और उनके कंधे पर हाथ भी रखा था.
ये है रैट होल माइनर्स की पूरी टीम
मजदूरों के रेस्क्यू मिशन में मुन्ना कुरैशी के अलावा रैट माइनर फिरौज, मोनू कुमार, वकील खान, परसादी लोधी और विपिन राजौत भी शामिल थे. उन्होंने सोमवार को शाम करीब 7 बजे मलबा हटाने का काम शुरू किया था. 24 घंटे से भी कम समय में टीम ने अपना काम पूरा कर दिया. टीम ने 60 मीटर की खुदाई की.
बता दें कि रैट होल माइनिंग छोटी सुरंग खोदकर कोयला निकालने का एक प्रोसेस है, लेकिन 2014 में इसे बैन कर दिया गया था. हालांकि यह तकनीक सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों के लिए नया जीवन लेकर आई.
प्रियंका गांधी ने ‘रैट माइनर्स’ का हवाला देते हुए कहा: इसी मोहब्बत से बना है अपना देश