नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए बृहस्पतिवार को दुबई पहुंचे. दिल्ली से रवाना होने से पहले, मोदी ने विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में सक्षम बनाने के लिए पर्याप्त जलवायु वित्तपोषण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का आह्वान किया. मोदी ने यहां पहुंचने पर सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, ‘सीओपी-28 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दुबई पहुंच गया हूं. शिखर सम्मेलन की कार्यवाही को लेकर उत्सुक हूं, जिसका उद्देश्य एक बेहतर ग्रह बनाना है.”
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi arrives at Dubai airport. He will be attending the World Climate Action Summit of the COP-28 on 1 December. pic.twitter.com/fLNRCx3TNa
— ANI (@ANI) November 30, 2023
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मोदी ने कहा कि उन्हें यह देखकर खुशी हुई कि यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की अध्यक्षता में आयोजित किया जा रहा है, जो जलवायु कार्रवाई के क्षेत्र में भारत का एक महत्वपूर्ण साझेदार है.मोदी ने कहा, ‘‘अपने सभ्यतागत लोकाचार को ध्यान में रखते हुए भारत ने हमेशा जलवायु कार्रवाई पर जोर दिया है, यहां तक कि हम सामाजिक और आर्थिक विकास को आगे बढ़ा रहे हैं.”
उन्होंने दिल्ली से रवाना होने पहले अपने बयान में कहा, ‘‘जी20 की हमारी अध्यक्षता के दौरान जलवायु हमारी प्राथमिकता में सबसे ऊपर थी. नयी दिल्ली घोषणापत्र में जलवायु कार्रवाई और सतत विकास पर कई ठोस कदम शामिल हैं. मैं इन मुद्दों पर आम सहमति को सीओपी28 में आगे बढ़ाये जाने की उम्मीद करता हूं.” मोदी जलवायु पर संयुक्त राष्ट्र के ‘कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज’ के दौरान शुक्रवार को विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जिसे सीओपी28 के नाम से जाना जाता है.
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन से प्रभावी ढंग से निपटने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए विश्व के कई नेता जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले हैं. प्रधानमंत्री का तीन अन्य उच्च स्तरीय कार्यक्रमों में भी भाग लेने का कार्यक्रम है. सीओपी28 का आयोजन संयुक्त अरब अमीरात की अध्यक्षता में 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक हो रहा है. प्रधानमंत्री ने अपने बयान में कहा कि सीओपी28 पेरिस समझौते के तहत हुई प्रगति की समीक्षा करने और जलवायु कार्रवाई पर भविष्य के कदम के लिए राह तैयार करने का अवसर प्रदान करेगा.
मोदी ने कहा, ‘‘भारत द्वारा आयोजित वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में ग्लोबल साउथ ने समानता और जलवायु न्याय के सिद्धांतों पर आधारित जलवायु कार्रवाई की जरूरत पर बल दिया लेकिन साथ ही जिम्मेदारियां तय करने और अनुकूलन पर अधिक ध्यान देने पर बात की.” उन्होंने कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि विकासशील देशों के प्रयासों को पर्याप्त जलवायु वित्तपोषण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ समर्थन दिया जाए. सतत विकास हासिल करने के लिए उनके पास समान कार्बन और विकास की जगह होनी चाहिए.”
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भी जलवायु कार्रवाई की बात आई है तब भारत अपनी बात पर कायम रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, वनीकरण, ऊर्जा संरक्षण, मिशन लाइफ जैसे विभिन्न क्षेत्रों में हमारी उपलब्धियां धरती माता के प्रति हमारे लोगों की प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं.”प्रधानमंत्री ने कहा कि वह जलवायु वित्त और हरित ऋण पहल सहित विशेष कार्यक्रमों में शामिल होने को लेकर आशान्वित हैं. मोदी ने कहा, ‘‘अपने सभ्यतागत लोकाचार को ध्यान में रखते हुए भारत ने हमेशा जलवायु कार्रवाई पर जोर दिया है, यहां तक कि हम सामाजिक और आर्थिक विकास को आगे बढ़ा रहे हैं.”
शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले कुछ नेताओं के साथ मोदी के द्विपक्षीय बैठकें करने की भी उम्मीद है. इन नेताओं में इजराइल के राष्ट्रपति इसाक हर्जोग, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस और मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू शामिल हैं.
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