शीर्ष अदालत ने कहा कि मार्केट रेगुलेटर सेबी को सभी 24 मामलों में जांच पूरी करनी होगी. इससे पहले, सेबी ने 25 अगस्त को अपनी स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि उसने 24 में से 22 मामलों में अपनी जांच पूरी कर ली है.हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट के कड़े सवालों और पूरी सुनवाई को लेकर NDTV ने राजनीतिक विश्लेषकों, वकीलों और पत्रकारों की राय जानी.
हिंडनबर्ग केस: OCCRP रिपोर्ट और प्रशांत भूषण के NGO का है कनेक्शन?
अश्विनी दुबे (सुप्रीम कोर्ट के वकील)
सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी दुबे ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के ऑब्जर्वेशन ने एक बात तय कर दी है कि हमारी संवैधानिक संस्थाएं हर प्रकार से सबूतों के आधार पर फैसले लेती है. आप बिना एविडेंस के आरोप लगाते हैं. और जब एक्सपर्ट कमेटी बनाकर जांच करा दी जाती है, तो आप कमेटी को ही गलत बता देते हैं. ये बिल्कुल ठीक नहीं है. दूसरी बात, हिंडबर्ग रिपोर्ट सिर्फ इकलौती सच्चाई नहीं है. उसकी विश्वसनीयता जांचने का भी कोई तरीका नहीं है.”
गीता भट्ट (राजनीतिक विश्लेषक)
राजनीतिक विश्लेषक गीता भट्ट कहती हैं, “हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज जो भी सवाल उठाए हैं, वो निश्चित तौर पर उठने चाहिए थे. इनमें ये बात सामने आई कि कोई विदेशी संस्थान भारत के उद्योगपतियों और नीतियों के बारे में अपनी समझ से बिना किसी तथ्यों के रिपोर्ट छाप देती है. कुछ आंकड़े दे देती है. एक साजिश की तरह उसे किसी बड़ी जगह से पब्लिश कराया जाता है. जिससे सरकार और संबंधित उद्योगपति की नकारात्मक छवि बनती है. यही सवाल आज कोर्ट में उठे हैं. इसे किसी भी स्थिति में न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता.”
जॉर्ज सोरोस फंडेड OCCRP रिपोर्ट की दिलचस्प टाइमिंग और हिंडनबर्ग का रिकैप
अमिताभ तिवारी (राजनीतिक विश्लेषक)
राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी कहते हैं, “हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट बनाई थी. उसपर कुछ आरोप लगाए गए थे. कोर्ट ने कभी इन आरोपों को हल्के में नहीं लिया. बकायदा कमेटी बनाकर इसकी जांच कराई गई और स्टेटस रिपोर्ट दे दी गई है. फाइनल रिपोर्ट का इंतजार है. लेकिन जब हम पिटिशनर्स ‘कॉनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट’ की बात कर रहे हैं, तो ये रिपोर्ट बनाने वाले पर भी लागू होता है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो भी छपा है उसे अंतिम सत्य नहीं माना जा सकता. हालांकि, मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाई और फाइनल रिपोर्ट जल्द देने वाली है. ऐसे आरोपों में इससे ज्यादा ट्रांसपिरेंसी की आप और क्या उम्मीद कर सकते हैं.”
तहसीन पूनावाला (राजनीतिक विश्लेषक )
राजनीतिक विश्लेषक तहसीन पूनावाला ने कहा, “हिंडनबर्ग केस में मैंने सुप्रीम कोर्ट के एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट पढ़ी है. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में क्लीन चिट दी है, लेकिन अदाणी और सेबी दोनों पर कुछ सवाल भी उठाए हैं. कमेटी ने कुल मिलाकर बहुत अच्छी रिपोर्ट दी है. उस रिपोर्ट के आधार पर अगर प्रशांत भूषण उस कमेटी को ही दोषी ठहराते हैं, तो मुझे लगता है कि ये सरासर गलत है. हम अगर किसी इंडस्ट्रियलिस्ट को टारगेट करते हैं, उन्हें कोर्ट में ले जाते हैं… तो मुझे लगता है कि कहीं न कहीं इससे इकोनॉमी में दिक्कत आएगी. ऐसा 2G स्कैम को लेकर भी हमने देखा था.”
अदाणी ग्रुप शेयरों की शॉर्ट सेलिंग से 12 शॉर्ट सेलरों को हुआ फ़ायदा : रिपोर्ट
जेएन गुप्ता (सेबी के पूर्व डायेक्टर)
सेबी के पूर्व डायेक्टर जेएन गुप्ता ने कहा, “जब मीडिया में खबर छपती है, खासतौर पर जो खबरें भारत के बाहर यानी विदेशी मीडिया में छपती हैं… उनकी क्रेडिबिलिटी कैसे जांची जाएगी या बहस का विषय है. हर खबर को तो एग्जामिन नहीं किया जा सकता. ऐसे रिपोर्ट की क्रेडिबिलिटी कहां से स्थापित होगी और कौन उसे स्थापित करेगा? जाहिर तौर पर समझ सकते हैं कि ऐसी रिपोर्टों के आधार पर कोर्ट फैसला नहीं ले सकती.”
देश रतन निगम (सुप्रीम कोर्ट के वकील)
सुप्रीम कोर्ट के वकील देश रतन निगम कहते हैं, “हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में जिन चीजों को आधार बनाया था, वो पब्लिक डोमेन में पहले से मौजूद थे. हिंडनबर्ग का ये दावा करना कि वो तथ्य ढूंढ कर लाए हैं, ये दावा पूरी तरह से गलत है. अदाणी ग्रुप ने इन तथ्यों को पहले से ही पब्लिक डोमेन में रखा हुआ था. इसे मैनुपुलेशन किया गया. अगर आपकी मंशा हमारे स्टॉक मार्केट और हमारे इंवेस्टर्स को नुकसान पहुंचाने की थी, तो ये एक अपराध है क्राइम है.”
हिंडनबर्ग केस: एक्सपर्ट कमिटी की रिपोर्ट पर SEBI ने सुप्रीम कोर्ट में दिया जवाब
संजय सिंह (सीनियर जर्नलिस्ट)
सीनियर जर्नलिस्ट संजय सिंह ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट की प्रोसिडिंग बहुत महत्वपूर्ण है. सबसे पहले हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई. फिर OCCRP की रिपोर्ट आई. उसके बाद फाइनेंशियल टाइम्स ने ऐसी रिपोर्ट दी. इससे समझा जा सकता है कि कैसे पूरा नेक्सस काम कर रहा था. उससे बाद जॉर्ज सोरोस का बयान आया, जिससे चीजें बिल्कुल साफ हो गई थीं. आज सुप्रीम कोर्ट ने बाकी चीजें भी साफ कर दी हैं.”
हर्षवर्धन त्रिपाठी (सीनियर जर्नलिस्ट)
सीनियर जर्नलिस्ट हर्षवर्धन त्रिपाठी ने कहा, “देश का कोई भी उद्योग घराना चाहे वो अदाणी हो, अंबानी हो, टाटा-बिरला हो या कोई और… अगर कोई उद्योग घराना कुछ गलत कर रहा है… तो उसकी जांच के लिए देश में एजेंसियां है. रेगुलेटर हैं. इन सबके ऊपर अदालत है. लेकिन क्या कोई एक अखबार, कोई एक एजेंसी और कोई एक शॉर्ट सेलर्स या सट्टेबाज रिपोर्ट बनाएगा और उसके आधार पर देश में एक पूरा तंत्र सक्रिय हो जाएगा. पूरे मामले में अदालत को एक भी ऐसा सबूत नहीं दिया गया है, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि जितना हंगामा किया गया उससे कोई सॉलिड बात भी थी. इससे सिर्फ देश की छवि खराब होती है और इकोनॉमी को नुकसान होता है.”
वकील प्रशांत भूषण पर भी उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण पर भी सवाल उठाए हैं. याचिकाकर्ता की तरफ से खड़े हुए प्रशांत भूषण ने अपनी दलीलें पेश करते हुए OCCRP की जिस रिपोर्ट का जिक्र किया. मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने इस पर कहा कि हमने OCCRP से रिपोर्ट की जानकारी मांगी, तो OCCRP ने इनकार किया. OCCRP ने प्रशांत भूषण से जुड़े एक NGO से बात करने को कहा, जो हितों का टकराव दिखाता है.
19 मई 2023 को कमेटी ने सार्वजनिक की थी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी अदाणी-हिंडनबर्ग मामले की जांच रिपोर्ट 19 मई 2023 को सार्वजनिक कर चुकी है. कमेटी ने अदाणी ग्रुप को क्लीनचिट दी थी. कमेटी ने कहा था कि अदाणी के शेयरों की कीमत में कथित हेरफेर के पीछे SEBI की नाकामी थी या नहीं? अभी इस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता. कमेटी ने ये भी कहा था कि ग्रुप की कंपनियों में विदेशी फंडिंग पर सेबी की जांच बेनतीजा रही है.