उत्तराखंड टनल हादसा: अब हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग पर फोकस, मजदूरों के रेस्क्यू में लग सकते हैं 2-3 दिन

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने NDTV को एक खास बातचीत में इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि उत्तरकाशी के टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग पर फोकस है, जो एक शॉफ्ट बनाएगी. अमेरिकन ऑगर के जरिए खुदाई का काम शुरू कर दिया गया है.

बोतल में खिचड़ी… उत्तरकाशी के टनल में 9 दिन से फंसे 41 मजदूरों को पहली बार नसीब हुआ गर्म खाना

NDMA) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने बताया, “बाकी अलग-अलग दिशाओं से एयरफोर्स और रेलवे के जरिए भी मदद ली जा रही है. अब ऊपर से भी ड्रिलिंग करने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए BRO ने ट्रैक बना दिया है. बरौत की तरफ यानी पीछे की तरफ से भी हॉरिजॉन्टल खुदाई की कोशिश की जा रही है. यहां ब्लास्टिंग की जा रही है. भूगर्भ वैज्ञानिक यानी जियोलॉजिस्ट इसका आंकलन कर रहे हैं.” 

चार इंटरनेशनल एक्सपर्ट भी कर रहे हैं मदद

हादसे के बारे में उन्होंने बताया, “12 नवंबर को घटना हुई. सिलक्यारा टनल दो तरफ से खुदाई हो रही थी. 41 मजदूर ट्रैप हुए. मजदूर केबिन और बरकोट साइड में फंसे हैं. मजदूर जो फंसे हैं वो एक किमी के करीब का इलाका है. अंदर बिजली भी है. चार इंच का एक पाइप भी मौजूद है. पानी, जरूरी सामान और कंप्रेशन इंस्ट्रूमेंट मौजूद है. विटमिन सी और डी भेजी गई है. NDRF,ITBP, BRO, SDRF और तमाम टेक्निकल एक्सपर्ट रेस्क्यू टीम में लगे हैं. चार इंटरनेशनल एक्सपर्ट भी आए हैं.

उत्तरकाशी हादसा: 9 दिन से टनल में फंसे 41 मजदूर, अब मिलेगा सॉलिड फूड; रेस्क्यू के लिए बना नया प्लान

मजदूरों को बोतलों में भेजा गया गर्म खाना

इससे पहले अंदर फंसे मजदूरों को मंगलवार सुबह 24 बोतलों में गर्म खिचड़ी और दाल और दोपहर सेब और संतरे भेजे गए. मंगलवार को कैमरे पर अंदर फंसे मजदूरों से बात हुई, उनकी गिनती की गई. सभी मजदूर सुरक्षित हैं. मजदूरों की हर एक्टिविटी का पता लगाने के लिए अब दिल्ली से हाईटेक CCTV मंगाए जा रहे हैं. अधिकारी ने आगे बताया, “6 इंच की एक और पाइप लाइन पहुंचा दी गई है. खाना और कम्युनिकेशन की चीजें भी पहुंचाने की कोशिश की जा रही है.” 

मजदूरों को परिवारों से कराई गई बात

उन्होंने बताया कि जो मजदूर फंसे हैं, उनके परिवारों को भी स्थानीय होटल में रुकाया गया है. कुछ परिवारों को फंसे मजदूरों से बात भी करवाई गई है.

मजदूरों को निकालने में 2-3 दिन लगेंगे- परिवहन मंत्रालय

वहीं, परिवहन मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन ने NDTV से कहा, “अगर अमेरिकन ऑगर ने अच्छा काम किया और ये सफल रहा, तो मजदूरों को निकालने में दो से तीन दिन का वक्त लग सकता है. अगर ऑगर लोहे की रॉड को नहीं काट पाता है, तो इस केस में हम गैस कटर को भी भेजने की कोशिश करेंगे. साइड ड्रिफ्ट बनाने का काम आर्मी कर रही है. इसमें 10-12 दिन लग सकते हैं. हॉरिजॉन्टल खुदाई की भी तैयार कर ली गई है.”

उत्तराखंड हादसा: टनल में 6 दिन से फंसे हैं मजदूर, जानें आखिर रेस्क्यू ऑपरेशन में क्यों लग रहा वक्त?

अनुराग जैन ने बताया, “17 नवंबर को भूकंप के बाद वर्टिकल खुदाई में दिक्कत आई थी. इसलिए वो विकल्प है, लेकिन फिलहाल वो अंतिम विकल्प है.”

12 नवंबर को हुआ था हादसा

ब्रह्मखाल-यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन 4.5 किलोमीटर लंबी सिलक्यारा टनल का एक हिस्सा 12 नवंबर को धंस गया था. चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ​​​​ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है. हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था. टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर अंदर 60 मीटर तक मिट्टी धंसी. इसमें 41 मजदूर अंदर फंस गए. टनल के अंदर फंसे मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं.

उत्तराखंड टनल हादसा : जब IAF विमान ने पहाड़ों पर बनी संकरी एयरस्ट्रिप पर पहुंचाई 27,500 Kg की रेस्क्यू मशीन

Source link

ndrfPushkar Singh DhamiRescue operationuttarakhand governmentUttarakhand tunnel accidentUttarkashi Tunnel Collapseउत्तरकाशी टनल हादसाउत्तराखंड टनल हादसारेस्क्यू ऑपरेशन