पिछले कई दिन से सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों तक छह इंच की पाइपलाइन के जरिए खिचड़ी भेजने के कुछ घंटों बाद बचावकर्मियों ने आज उन तक एक कैमरा भेजा और उनके सकुशल होने का पहला वीडियो जारी किया. वीडियो में सभी मजदूर अपने सेफ्टी हेलमेट में नजर आ रहे हैं. भूस्खलन के कारण निकास मार्ग बंद होने के बाद उत्तराखंड सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को आज सुबह 10 दिनों में पहली बार देखा गया.
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बचाव दल ने मजदूरों की उम्मीदें जगाई
आज सुबह लगभग 3.45 बजे, जब मजदूरों के चेहरे कैमरे पर आए, तो बचाव टीमों के बीच उत्साह देखने को मिला. हालांकि ये माहौल जल्द ही गंभीर हो गया क्योंकि बचाव दल को एक मुश्किल मिशन को अंजाम देना है. उन्होंने आश्वासन दिया कि वे जल्द ही फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचेंगे और साथ ही कई निर्देश दिए. इस दौरान मजदूरों से पूछा गया, “क्या आप ठीक हैं? यदि आप सभी ठीक हैं, तो कृपया खुद को कैमरे के सामने दिखाएं. कृपया अपने हाथ उठाएं और मुस्कुराएं.”
सुरंग में पाइप के जरिए भेजी जा रही है जरूरी मदद
एक बचावकर्ता ने कहा, “हम जल्द ही आप तक पहुंचेंगे, कृपया चिंता न करें, कृपया एक-एक करके कैमरे के सामने आएं. हम आपके रिश्तेदारों को दिखाना चाहते हैं कि आप ठीक हैं.” फिर कर्मचारियों को पाइप के अंदर से कैमरा लेने और उनमें से प्रत्येक पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा गया. एक बचावकर्ता ने कहा, और पूछा कि क्या आपको पाइप के माध्यम से भेजा गया वॉकी-टॉकी प्राप्त हुआ था. जब मजदूरों ने इसकी पुष्टि की, तो बचावकर्मियों ने उन्हें वॉकी-टॉकी संचालित करने का निर्देश दिया. मलबे के बीच डाला गया छह इंच का पाइप एक जीवन रेखा है, जिसके माध्यम से श्रमिकों को भोजन और दवाएं भेजी जा सकती हैं.
आज सुबह के फुटेज में, बचावकर्मियों को फंसे हुए मजदूरों को भोजन भेजने की योजना पर चर्चा करते हुए भी सुना जा सकता है. समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, छह इंच के पाइप के जरिए भेजे जाने के लिए तैयार की जा रही वस्तुओं में खिचड़ी और दलिया भी शामिल है. सोमवार को पाइप लगने के तुरंत बाद मजदूरों को खिचड़ी भेजी गयी. 12 नवंबर को निर्माणाधीन सुरंग में भूस्खलन के बाद से 41 मजदूर फंस गए हैं. ये सुरंग केंद्र की महत्वाकांक्षी चार धाम परियोजनाओं का हिस्सा है, उत्तराखंड में सिल्क्यारा और डंडालगांव के बीच स्थित है. यह सुरंग उत्तरकाशी और यमुनोत्री को जोड़ने के लिए प्रस्तावित सड़क पर है.
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