आर्थिक अपराधियों के लिए हथकड़ी का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए : संसंदीय समिति

रिपोर्ट राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को सौंपी गई

समिति की रिपोर्ट प्रस्तावित कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस-2023), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस-2023) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए-2023) से संबंधित है. गत 11 अगस्त को लोकसभा में पेश किए गए ये तीन विधेयक कानून बनने पर भारतीय दंड संहिता, 1860, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह लेंगे. समिति की रिपोर्ट गत शुक्रवार को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को सौंपी गई.

हथकड़ी के इस्तेमाल को लेकर दिया ये तर्क

संसदीय समिति के अनुसार, उसे लगता है कि हथकड़ी का उपयोग गंभीर अपराधों के आरोपियों को भागने से रोकने और गिरफ्तारी के दौरान पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चुनिंदा जघन्य अपराधों तक सीमित है. बहरहाल, समिति का मानना ​​है कि आर्थिक अपराध को इस श्रेणी में शामिल नहीं किया जाना चाहिए. उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘‘ऐसा इसलिए है क्योंकि ‘आर्थिक अपराध’ शब्द में अपराधों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है. इस श्रेणी के अंतर्गत आने वाले सभी मामलों में हथकड़ी लगाना उपयुक्त नहीं हो सकता है.” समिति ने कहा, ‘‘इसलिए, समिति सिफारिश करती है कि खंड 43(3) को ‘आर्थिक अपराध’ शब्द हटाने के लिए उपयुक्त रूप से संशोधित किया जा सकता है.”

बीएनएसएस के खंड 43(3) में हथकड़ी के इस्तेमाल को लेकर कही गई है ये बात

बीएनएसएस के खंड 43(3) में कहा गया है, ‘‘पुलिस अधिकारी अपराध की प्रकृति और गंभीरता को ध्यान में रखते हुए किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार करते समय हथकड़ी का उपयोग कर सकते हैं, जो आदतन अपराधी है, जो हिरासत से भाग गया है या जिसने संगठित अपराध, आतंकवादी कृत्य का अपराध, नशीली दवाओं से संबंधित अपराध या हथियारों और गोला-बारूद के अवैध कब्जे का अपराध, हत्या, बलात्कार, तेजाब हमला, नोटों की जालसाजी, मानव तस्करी, बच्चों के खिलाफ यौन अपराध, भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्य या आर्थिक अपराध किया है.”

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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