पुलिस और नागरिक प्रशासन द्वारा फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिए किसानों के खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई के चलते पंजाब में बृहस्पतिवार को पराली जलाने की घटनाओं में भारी कमी दिखी और प्रदेश में आज ऐसी कुल 639 घटनाएं सामने आईं. मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी के बीच फसल अवशेष जलाने पर ‘तत्काल’ रोक सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए थे.
शीर्ष अदालत की पीठ ने मुख्य सचिव की समग्र निगरानी में संबंधित स्थानीय एसएचओ को भी फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिए जिम्मेदार बनाया था. अक्टूबर और नवंबर में राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के स्तर में खतरनाक वृद्धि के पीछे पंजाब और हरियाणा में धान की पराली जलाना एक कारण माना जाता है.
पंजाब में बृहस्पतिवार को खेतों में पराली जलाने की 639 घटनाएं दर्ज की गईं. राज्य में 5, 6, 7 और 8 नवंबर को खेत में फसल अवशेष जलाने की क्रमश: 3,230, 2,060, 1,515 और 2,003 घटना सामने आयी थी .
उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद, पंजाब पुलिस प्रमुख ने बुधवार को पुलिस अधिकारियों को राज्य में पराली जलाने से रोकने के लिए नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर काम करने को कहा था.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, पुलिस ने बृहस्पतिवार को धान की पराली जलाने के आरोप में राज्य में किसानों के खिलाफ 251 प्राथमिकी दर्ज की. पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा घोषित आदेश की अवज्ञा) के तहत मामले दर्ज किये. कार्रवाई के दौरान दोषी किसानों के खिलाफ 88.23 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया.
अधिकारियों ने बताया कि शीर्ष अदालत के निर्देशों के बारे में जागरूक करने के लिए एसएओ द्वारा गांव के सरपंचों के साथ 1,309 बैठकें की गईं. इसके अलावा, पुलिस आयुक्तों और जिला पुलिस प्रमुखों ने किसान नेताओं के साथ बैठकें कीं. पिछले दो दिनों में ऐसी कम से कम 269 बैठकें हुई .
अधिकारियों ने बताया कि पराली जलाने पर निगरानी रखने के लिए पुलिस और नागरिक अधिकारियों के 638 उड़नदस्ते बनाए गए हैं. प्रदेश में 639 नए मामलों के साथ राज्य में पराली जलाने की कुल घटनाओं की संख्या बढ़कर 23,620 हो गई है.
राज्य में 639 पराली जलाने की घटनाओं में से, संगरूर 135 मामलों के साथ शीर्ष पर रहा, इसके बाद मनसा में 96, फिरोजपुर में 83, कपूरथला में 52 और फाजिल्का में 38 मामले सामने आए. इस दिन साल 2021 और 2022 में राज्य में खेतों में फसल अवशेष जलाने की क्रमशः 5,079 और 1,778 घटना हुई थीं.
इस बीच, हरियाणा के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’ और ‘बहुत खराब’ श्रेणियों में पहुंच गया. हरियाणा के सोनीपत में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 433 दर्ज किया गया, इसके बाद जींद में 432, कैथल में 430, हिसार और फतेहाबाद में 411-411, फरीदाबाद में 407, गुरुग्राम में 399, रोहतक में 358, कुरूक्षेत्र में 340, भिवानी में 332 और पानीपत में 323 दर्ज किया गया.
पंजाब के बठिंडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक 372 दर्ज किया गया, इसके बाद मंडी गोबिंदगढ़ में 354, पटियाला में 300, खन्ना में 293, जालंधर में 258, अमृतसर में 225 और रूपनगर में 200 दर्ज किया गया. पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में यह आंकड़ा 209 दर्ज किया गया.
शून्य और 50 के बीच एक एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है.