‘मैं स्कूल कैसे लौटूंगी…पैर वापस…’: इजरायल-गाजा युद्ध में हारती इंसानियत की एक और दर्दनाक कहानी…

खान यूनिस, फ़िलिस्तीनी: इजरायल और गाजा के बीच चल रहे युद्ध (Israel Gaza War) से यहां के नागरिकों का बुरा हाल है. खौफ का कुछ ऐसा माहौल है कि सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. खुद को सुरक्षित रखने के लिए लोग अपने घरों में छिपे रहने के लिए मजबूर हैं. यहां युद्ध में हर रोज इंसानियत हार रही है और एक बार फिर हारती इंसानियत की दर्दनाक कहानी सामने आई है.

दोनों ओर से जारी युद्ध में हजारों बच्चे की मौत की खबर है. अब गाजा से एक ऐसे ही बच्ची की कहानी सामने आई है, जो 13 साल की है और युद्ध में अपने पैर गवां चुकी है. लेयान अल-बाज़ पीड़ा में रोती है, जब उसके पैर कटने के बाद उसे मिलने वाली दर्द निवारक दवाओं का असर कम हो जाता है.

भोजन, पानी और ईंधन की गंभीर कमी

दक्षिणी गाजा पट्टी में खान यूनिस के नासिर अस्पताल में 13 वर्षीय फिलिस्तीनी बच्ची ने एएफपी को बताया, “मुझे नकली पैर नहीं चाहिए. युद्ध शुरू होने के बाद से घिरे हुए गरीब फिलिस्तीनी क्षेत्र में भोजन, पानी और ईंधन की गंभीर कमी है, और चिकित्सा आपूर्ति भी दुर्लभ है.

पीड़ित बच्ची की मां लामिया अल-बाज़ का कहना है कि लेयान पिछले हफ्ते खान यूनिस के अल-करारा जिले पर हुए हमले में घायल हो गई, जो 7 अक्टूबर को हुए खूनी हमास हमलों के जवाब में इजरायल के अविश्वसनीय सैन्य अभियान का हिस्सा था, जिसके बारे में इजरायली अधिकारियों का कहना है कि इससे ज्यादा लोग मारे गए हैं.  हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, युद्ध शुरू होने के बाद से गाजा में लगभग 9,500 लोग मारे गए हैं, जिनमें कम से कम 3,900 बच्चे भी शामिल हैं.

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लामिया का कहना है कि उनकी दो बेटियां, इखलास और खितम, और एक नवजात शिशु सहित दो पोते-पोतियां उस समय मारे गए..जब इजरायली हमला इखलास के घर पर हुआ. परिवार इखलास का समर्थन करने के लिए वहां मौजूद था, जिसने अभी-अभी बच्चे को जन्म दिया था.

‘उनके शव टुकड़ों में थे…’

लामिया कहती हैं, “उनके शव टुकड़ों में थे,” जिन्हें मुर्दाघर में अपनी बेटियों के शवों की पहचान करनी थी. “मैंने खितम को उसके कानों की बालियों से और इखलास को उसके पैरों की उंगलियों से पहचाना.” लेयान, जिसका चेहरा और बांहें चोटों से भरे हुए हैं, पूछती है: “मैं स्कूल कैसे लौटूंगी जब मेरे दोस्त पैदल चलेंगे और मैं नहीं जा पाऊंगी?”

लामिया उसे आश्वस्त करने की कोशिश करती है: “मैं तुम्हारे साथ रहूंगी. सब ठीक हो जाएगा. तुम्हारे सामने अभी भी भविष्य है.  पीड़ित बच्ची ने कहा कि मैं एक कृत्रिम पैर लगवाऊंगी और अपनी पढ़ाई जारी रखूंगी, ताकि मैं डॉक्टर बनने का अपना सपना पूरा कर सकूं. मैं अपने और अपने परिवार के लिए मजबूत बनूंगी.”

7 अक्टूबर के हमले के बाद से इजरायल ने भारी एयर स्‍ट्राइक की है, जिसमें हमास के बंदूकधारियों ने गाजा पट्टी से हमला किया था. हमास के इस हमले में 1,400 इजरायली मारे गए थे और 239 को बंधक बना लिया गया था. इधर, गज़ान में मरने वालों की संख्या 9,000 से अधिक हो गई है. हर दिन हिंसा के कारण दुनिया भर में छोटे से क्षेत्र में फंसे 20 लाख से अधिक गज़ावासियों की दुर्दशा के लिए विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. 

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