प्रधानमंत्री मोदी ने हांगझोउ पैरा एशियाई खेलों में रिकॉर्ड 111 पदक जीतने वाले भारतीय खिलाड़ियों से कहा, “आपके ये 111 पदक दरअसल 140 करोड़ सपने हैं. 2014 में एशियाई पैरा खेलों में भारत के पदकों से यह तीन गुना अधिक है. 2014 में हम पदक तालिका में 15वें स्थान पर थे. लेकिन इस बार शीर्ष पांच में हैं. देश पिछले नौ साल में अर्थव्यवस्था में दसवें से पांचवें नंबर पर पहुंचा और आपने भी पदक तालिका में पांचवें नंबर पर पहुंचा दिया.”
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत विश्व अर्थव्यवस्था रैंकिंग में अमेरिका, चीन , जापान और जर्मनी के बाद पांचवें स्थान पर है. प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “मैं आप सभी को बहुत बहुत बधाई देना चाहता हूं. आप लोग चीन में खेल रहे थे. लेकिन मैं भी आपके साथ था. मैं हर पल आपकी हर गतिविधि को, आपके प्रयासों को, आपके आत्मविश्वास को यहां बैठे जी रहा था.”
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार खिलाड़ियों को हरसंभव सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है. प्रधानमंत्री ने कहा ,‘‘ पहले कहा जाता था कि खिलाड़ी सरकार के लिए है. लेकिन अब कहा जाता है कि सरकार खिलाड़ियों के लिए है. जब सरकार खिलाड़ियों के संघर्ष और उनके सपनों को समझती है तो इसका सीधा प्रभाव सरकार की नीतियों और सोच में भी दिखता है. देश में अच्छे खिलाड़ी पहले भी थे. लेकिन उनका सहयोग करने वाली नीतियां नहीं थी.”
उन्होंने कहा, “पिछले नौ साल में देश उस पुरानी सोच और व्यवस्था से बाहर निकल आया है. आज देश में कई ऐसे खिलाड़ी है जिन पर चार पांच करोड़ खर्च किये जा रहे हैं. अब सरकार की सोच खिलाड़ियों पर केंद्रित है और आने वाले समय में आपके जैसे कई और विजेता देश को मिलेंगे.”
उन्होंने कहा ,‘‘ हमारी सरकार आपके साथ है, देश आपके साथ है. अगर आप मरी पड़ी सोच से चलते हैं तो न दुनिया को चला सकते हैं और न ही कोई सिद्धी प्राप्त कर सकते हैं. हम दसवें नंबर की अर्थव्यवस्था से पांच पर पहुंचे और डंके की चोट पर कहता हूं कि इसी दशक में तीन तक पहुंचेंगे.”
उन्होंने आगे कहा, ‘‘यह देश 2047 में विकसित भारत बनेगा. अगर दिव्यांग जन सपने पूरे कर सकते हैं तो 140 करोड़ की ताकत यह सपना अधूरा रहने नहीं देगी.” उन्होंने विषमता पर विजय पाने वाले दिव्यांग खिलाड़ियों की तारीफ करते हुए कहा, ‘‘इन खेलों के लिये चुने गए सभी खिलाड़ियों में से कोई जीतकर आया तो कोई सीखकर आया, आपमे से कोई हारकर नहीं आया है. आप इतनी सारी चुनौतियों से जूझकर और मजबूत हो गए और ये आपके प्रदर्शन से हर देशवासी गौरवान्वित है.”
उन्होंने कहा, “बाकी खेलों में खिलाड़ी पदक जीतता है तो खेल जगत और नये खिलाड़ियों की प्रेरणा बनता है. लेकिन जब एक दिव्यांग विजयी होता है तो खेल नहीं बल्कि जीवन के हर क्षेत्र की प्रेरणा बन जाता है. निराशा की गर्त में डूबा हुआ कोई भी इंसान आपकी सफलता को देखकर खड़ा हो जाता है.”
प्रधानमंत्री मोदी ने अपना उदाहरण देते हुए कहा ,‘‘ जब मैं राजनीति में नया था तो पार्टी में संगठन में काम करता था. लोकसभा चुनाव में गुजरात में हम 12 सीट लड़े और सारी जीत गए. उस समय हमारे नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने मुझे गले लगाकर कहा कि 12 का मतलब पता है. कभी हम पूरे देश में 12 नहीं होते थे, तुम एक राज्य से 12 लेकर आए.”
उन्होंने खेलों को लेकर सोच में आये बदलाव का जिक्र करते हुए कहा,‘‘ खेलों को लेकर समाज की सोच में भी बदलाव आया है. पहले खिलाड़ियों से पूछा जाता था कि सेटल होने के लिये क्या करोगे. लेकिन अब खेल को भी एक पेशे के रूप में स्वीकार किया जा रहा है. उन्होंने 2030 युवा ओलंपिक और 2036 ओलंपिक की मेजबानी के प्रयासों के सरकार के संकल्प को भी दोहराया.
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