नई दिल्ली:
चुनावों में रेवड़ियां बांटने (Election Freebies Culture) की जितनी आलोचना हो रही है, उतना ही इसका चलन बढ़ता जा रहा है. तमाम राज्यों में तमाम पार्टियां अपने-अपने वोटरों को रिझाने के लिए साइकिल, मोबाइल, लैपटॉप से लेकर तरह-तरह की चीज़ें बांटने का ऐलान करती रही हैं. दूसरी तरफ ये बात कही जाती है कि ऐसे ऐलान राज्य की अर्थव्यवस्था को ख़स्ताहाल छोड़ देंगे. कई राज्य अब भी कर्ज़ में डूबे हुए हैं. चुनावों (Assembly Elections 2023) में लोकलुभावन घोषणाओं का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक पहुंच चुका है. लेकिन इसके बावजूद वादों की झड़ी लगी हुई है. खासकर जब से महिला वोटरों की अहमियत पहचानी गई है, तब से महिला वोटरों के लिए विशेष ऐलान किए जा रहे हैं.
यह भी पढ़ें
तेलंगाना चुनाव (Telangana Elections 2023) की बात करें, तो कांग्रेस (Congress) अपने चुनावी मेनिफेस्टों में लड़कियों की शादी में एक तोला (10 ग्राम) सोना देने का ऐलान कर सकती है. छात्रों को फ्री इंटरनेट देने का वादा किया जा सकता है. ये बात कांग्रेस चुनाव घोषणा-पत्र कमेटी के प्रमुख डॉ. श्रीधर बाबू ने NDTV से कही. हालांकि, इस प्रस्ताव पर पार्टी नेतृत्व की मुहर लगनी बाकी है. इसके पहले महिलाओं को 2500 रुपये महीने देने का वादा किया जा चुका है. साथ ही महिलाओं को बसों में मुफ़्त यात्रा कराने की भी बात कही गई है.
ऐसा नहीं कि कांग्रेस ही ऐसे वादे कर रही है या वो सिर्फ तेलंगाना में ये वादे कर रही है. तेलंगाना में ही सरकार का ‘शादी मुबारक’ कार्यक्रम चल रहा है, जिसमें दुल्हनों को एक लाख रुपये दिए जाने की बात है. ये काफी लोकप्रिय कार्यक्रम है. इसके अलावा कर्नाटक में कांग्रेस महिलाओं को बसों में मुफ्त यात्रा करा ही रही है. तो फर्क बस ये है कि कैश की जगह सोना है. फिर इससे जुड़े कई सवाल हैं:-
-पहला सवाल तो यही है कि 10 ग्राम सोना देने की घोषणा को चुनावी रेवड़ी माना जाए?
-दूसरी बात ये कि क्या ऐसी रेवड़ियां जनता को असली मुद्दों से दूर नहीं कर देतीं?
– क्या ये चुनावों की संजीदगी कम करने का काम नहीं है?
-क्या ऐसी लोकलुभावन घोषणाओं पर रोक लगनी चाहिए?
कांग्रेस की प्रवक्ता ने क्या कहा?
NDTV से कांग्रेस की प्रवक्ता डॉली शर्मा ने कहा, “तेलंगाना में 10 ग्राम सोना देने की बात को आप चुनावी रेवड़ी कहे, लेकिन मैं इसे ऐसा नहीं कहूंगी. कांग्रेस जिस तरीके से गरीब और मध्यम वर्ग के लिए काम कर रही है, वो आज की जरूरत है. इस महंगाई के वक्त में सहारा है. इस महंगाई के दौर में जहां बेटियों की शादियां करना मुश्किल है. लोगों के पास घर चलाने के लिए पैसे नहीं हैं. उनके घर का बजट बिगड़ चुका है. वहां अगर इस तरीके की मदद जरूरी है. जब उद्योगपतियों का कर्जा माफ हो सकता है, तो मध्यम और गरीबों परिवारों की मदद क्यों नहीं हो सकती. इसमें क्या बुराई है? अगर कोई और पार्टी ऐसे ऐलान करती है, तो कांग्रेस पार्टी उसका स्वागत करेगी.”
बीआरएस के प्रवक्ता ने क्या कहा?
तेलंगाना की बेटियों को 10 ग्राम सोना देने के कांग्रेस के विचार पर केसीआर की पार्टी बीआरएस के प्रवक्ता कृषंक मन्ने ने कहा, “बीआरएस तेलंगाना में पहले से ही कल्याण लक्ष्मी और शादी मुबारक स्कीम चला रही है. एक लाख पहले से ही इंपिलिमेंटेशन में हैं. इसके तहत हम 1 लाख 1 हजार और 16 रुपये दे रहे हैं. इससे हम कौन से मुद्दों पर काम कर रहे हैं, इसपर बहस होनी चाहिए. तेलंगाना में पहले महिला तस्करी के केस आते थे. आज वो कम हुआ है. जल्दी शादी, बालविवाह इन सामाजिक बुराइयों को हमारी योजनाओं ने कुछ हद तक कम किया है. ऐसे में इसे चुनावी रेवड़ी नहीं मानी जानी चाहिए.”
क्या कहते हैं राजनीतिक विशलेषक?
राजनीतिक विशलेषक पीकेडी नांबियार कहते हैं, “रेवड़ी कल्चर के लिए मैं कर्नाटक का उदाहरण दूंगा. आप समझ सकते हैं कि कर्नाटक कैसे फ्रीविज कल्चर के कारण आर्थिक रूप से अभी किस पोजिशन में आ गया है. आपको अगर जनता को मुफ्त में कुछ देना है, तो अपनी-अपनी पार्टी से फंड लेकर दे दीजिए. ये पैसे जनता का है. हम सबका है. देश का पैसा है या पर्टिकुलर स्टेट का है. मैं तो फ्रीविज को चुनावी रिश्वत मानता हूं. ये जनता से वोट खरीदने का एक तरीका है. रेवड़ी कल्चर किसी लिहाज से एक वेलफेयर स्टेट की निशानी नहीं है.”
पांच राज्यों में कब हैं चुनाव?
चुनाव आयोग ने 9 अक्टूबर को मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया. सबसे पहले मिजोरम में 7 नवंबर को मतदान होगा. इसके बाद मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को मतदान होगा. छत्तीसगढ़ में 2 चरणों में 7 नवंबर और 17 नवंबर को वोटिंग होगी. 25 नवंबर को राजस्थान और 30 नवंबर को तेलंगाना में वोट डाले जाएंगे. सभी 5 राज्यों में एक साथ 3 दिसंबर को रिजल्ट आएंगे.