Israel Palestine War: ‘जंग तो ख़ुद ही एक मसला है, जंग क्या मसलों का हल देगी’… 20वीं सदी में ये लाइनें लिखने वाले साहिर लुधियानवी अगर आज जीवित होते तो बेहद मायूस हो जाते. बीते रोज एक और जंग की शुरुआत हो गई. इजराइल और फिलिस्तीन के बीच यूं तो कभी भी शांति बहुत दिन नहीं टिकी है लेकिन शनिवार सुबह हमास, जिसका गाजा पट्टी पर कब्जा है, ने इजराइली शहरों पर हजारों रॉकेट दागे. जवाब में इजराइली पीएम ने कार्रवाई से पहले एक बयान जारी किया. नेतन्याहू ने कहा, ‘हम एक युद्ध में हैं’. युद्ध दुनिया के किसी भी कोने में हो, किन्हीं दो देशों के बीच हो लेकिन उसका दुष्परिणाम समूचे विश्व को भुगतना पड़ता है. यह बात हमने रूस और यूक्रेन की लड़ाई से सीखी.
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मौजूदा समय में भी दुनिया एक से अधिक युद्धों का सामना कर रही है या ऐसे तनाव को देख रही है जिसमें दो मुल्क युद्ध की कगार पर खड़े हैं. रूस-यूक्रेन हो, अजरबैजान-आर्मेनिया हो, चीन-ताइवान हो, उत्तर कोरिया-दक्षिण कोरिया हो या भारत-चीन कई क्षेत्रों में तेजी से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच दुनिया का एक बड़ा भू-भाग तनाव का सामना कर रहा है. आइए जानते हैं कि वर्तमान में दुनिया में कहां-कहां युद्ध चल रहा है या युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं.
इजराइल-फिलिस्तीन
गाजा से हमास के भीषण हमले के बाद शनिवार को इजराइल ने ‘युद्ध’ की घोषणा की और कहा कि ‘इस लड़ाई में जीत हमारी होगी’. हमास ने दक्षिणी इजराइल के रिहायशी इलाकों पर 2000 रॉकेट दागे. रविवार को यह जंग और तेज हो चुकी है. अब तक 5000 से अधिक रॉकेट दागे जा चुके हैं और दोनों तरफ से 500 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. इजराइल का कहना है कि हमास के हमले में अब तक 300 इजराइलियों की मौत और 1000 घायल हुए हैं. वहीं गाजा के अधिकारियों के मुताबिक इजराइली हवाई हमलों में अब तक 232 लोग मारे गए हैं और 1700 घायल हुए हैं.
रूस-यूक्रेन
जब यह खबर लिखी जा रही है तब रूस और यूक्रेन का युद्ध अपने 592 दिन पूरे कर चुका है. 24 फरवरी 2022 को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ‘स्पेशल ऑपरेशन’ के नाम से यूक्रेन के खिलाफ जंग का ऐलान किया था. कुछ ही महीनों में यह लड़ाई अपने दो साल पूरे कर सकती है लेकिन न ही इसमें कोई हारा है और न ही जीत हासिल कर सका है.
पुतिन को उम्मीद थी कि वह कुछ ही दिनों में कीव पर कब्जा कर लेंगे और युद्ध खत्म हो जाएगा लेकिन पश्चिमी देशों की ओर से यूक्रेन को दिए गए हथियारों ने जंग की तस्वीर ही बदलकर रख दी.
अजरबैजान-आर्मेनिया
अजरबैजान और आर्मेनिया लंबे समय से एक-दूसरे के खिलाफ युद्ध लड़ रहे हैं. संघर्ष विराम पर सहमति बनने के बावजूद समय-समय पर दोनों एक-दूसरे पर हमले करते रहते हैं. पिछले महीने जो हालात बने उनसे एक और जंग के दोबारा शुरू होने का खतरा पैदा हो गया है. अजरबैजान ने ‘आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन’ के नाम से आर्मेनिया के खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी. अजरबैजान ने नागोर्नो-काराबाख में अपने सैनिकों को भेज दिया जिन पर आर्मेनिया का कब्जा है और चेतावनी दी कि जब तक आर्मेनिया की सेना सरेंडर नहीं करेगी यह ऑपरेशन नहीं रुकेगा. दोनों देशों के बीच तनाव ऐसा है कि यह लड़ाई कभी भी शुरू हो सकती है.
चीन-ताइवान
चीन और ताइवान के बीच तनाव लगातार बना हुआ है. बीते एक साल में कई बार ऐसे हालात बने कि जिनसे लगा कि अब युद्ध को नहीं टाला जा सकता. चीनी लड़ाकू विमान, युद्धपोत और ड्रोन अक्सर ताइवान जलडमरूमध्य में जाकर ताइवान को डराते-धमकाते रहते हैं.
चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता है और जरूरत पड़ने पर ‘बलपूर्वक’ भी उसे वापस मेनलैंड चाइना में मिलाने की कसम खा चुका है. वहीं औपचारिक संबंध न होने के बावजूद अमेरिका ताइवान से उसकी स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा करने का वादा कर चुका है.