नई दिल्ली:
Hindustan Zinc Stake Sale: केंद्र सरकार अनिल अग्रवाल के स्वामित्व वाली हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (Hindustan Zinc Ltd) में अपनी अल्पांश इक्विटी हिस्सेदारी बेचने जा रही है. इसके लिए कैबिनेट (Cabinet) ने मंजूरी भी दे दी है. अब खबर आ रही है कि सरकार इसको लेकर कोई फैसला लेने से पहले यह जानना चाहती है कि बड़े विदेशी कोषों की इसमें कितनी रुचि है. एक सरकारी अधिकारी ने इस बात की जानकारी दी है. आपको बता दें कि सरकार के पास अभी हिंदुस्तान जिंक में 29.54 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि 5.54 प्रतिशत हिस्सेदारी सार्वजनिक शेयरधारकों के पास है. माइनिंग सेक्टर के दिग्गज अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) की वेदांता लिमिटेड (Vedanta Limited) 64.92 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ हिंदुस्तान जिंक की प्रमोटर कंपनी है.
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मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) ने जिंक उत्पादक कंपनी में सरकार के 124.79 करोड़ शेयर या 29.54 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की मंजूरी दे दी है. इस हिस्सेदारी की बिक्री के तहत सरकार को मौजूदा 316 रुपये प्रति शेयर के भाव पर 29.54 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए लगभग 39,000 करोड़ रुपये की जुटाने की उम्मीद है.
इसके अलावा अधिकारी ने कहा कि चूंकि कंपनी में सार्वजनिक हिस्सेदारी सिर्फ पांच प्रतिशत है. ऐसे में बड़े निवेशकों के लिए यह सौदा बेहतर नहीं है, क्योंकि बड़े निवेशक कंपनी में एकमुश्त रकम डालते हैं. लेकिन बाजार में शेयरों की उपलब्धता सीमित होगी.अधिकारी ने कहा, ‘‘मर्चेंट बैंकर पहले हिंदुस्तान जिंक में बड़े कोषों की रुचि का आकलन करेंगे. एक बार जब हमें मांग का सही अंदाजा हो जाएगा, तो हम समय और कितनी हिस्सेदारी बेची जा सकती है, इसपर फैसला करेंगे.”
वहीं, अधिकारी ने कहा कि बाजार का उच्चस्तर पर होना हिंदुस्तान जिंक में हिस्सेदारी बिक्री में बाधा नहीं बनेगा. यह हिस्सेदारी बिक्री बाजार में बकाया शेयरों पर निर्भर करेगी.”
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, शेयरों की संख्या के आधार पर बैंकों जैसे विदेशी संस्थागत निवेशकों की हिंदुस्तान जिंक में काफी कम हिस्सेदारी है. हालांकि, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (श्रेणी एक) की कंपनी में करीब 0.81 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
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