राहुल गांधी ने कहा कि, ”हम सीता को याद करते हैं, और समाज में जो सीता की जगह होनी चाहिए उसका आदर करते हैं. जय सियाराम, जय सीताराम और तीसरा नारा जय श्रीराम.. इसमें हम राम भगवान की जय करते हैं.”
उन्होंने कहा कि, ”पंडित जी ने मुझसे कहा कि आप अपनी स्पीच में पूछिए कि बीजेपी के लोग ‘जय श्रीराम’ करते हैं मगर कभी ‘जय सियाराम’ या ‘हे राम’ क्यों नहीं करते? मुझे बहुत अच्छा लगा, बहुत गहरी बात बोली. आरएसएस और बीजेपी के लोग, जिस भावना से राम ने अपनी जिंदगी जी, उस भावना से अपनी जिंदगी नहीं जीते हैं. राम ने किसी के साथ अन्याय नहीं किया. राम ने समाज को जोड़ने का काम किया. राम ने सबको इज्जत दी. भगवान राम ने किसानों की, मजदूरों की, व्यापारियों की, सबकी मदद की. भगवान राम की जो भावना थी, जो उनके जीने का तरीका है, उसको आरएसएस के लोग और बीजेपी के लोग नहीं अपनाते.”
राहुल गांधी ने कहा कि, ”तीसरा नारा जय सियाराम तो वे लगा ही नहीं सकते क्योंकि उनके संगठन में एक महिला नहीं है. वह जय सियाराम का संगठन ही नहीं है. उनके संगठन में महिला तो आ ही नहीं सकती, सीता तो आ ही नहीं सकती. सीता को तो बाहर कर दिया. यह बहुत गहरी बात है, मध्यप्रदेश के एक पंडित जी ने सड़क पर मुझसे कही.”
उन्होंने कहा कि, ”हमारे जो आरएसएस के मित्र हैं, मैं उनसे कहना चाहता हूं, जय श्रीराम, जय सियाराम और हे राम, तीनों का प्रयोग कीजिए और सीता जी का अपमान मत कीजिए.”
उन्होंने कहा कि, ”यात्रा का एक और लक्ष्य है, मैंने बेरोजगारी की बात की, थोड़ी सी महंगाई की बात भी बोल देता हूं. पेट्रोल के दाम यूपीए के समय क्या थे, 60 रुपये. आज क्या हैं, 107 रुपये.”
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