नई दिल्ली:
इजराइल एक ऐसा मुल्क है जो अपने बनने के साथ ही चारों तरफ से चुनौतियों से घिरा रहा है. दुनिया भर में सताए गए यहूदियों के लिए प्राथमिक तौर पर बनाए गए इस मुल्क को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इजराइल लेबनान से लेकर सीरिया तक और बोलनहाइट से लेकर गाजा पट्टी तक अपनी सुरक्षा को लेकर खास चिंतित रहता है. अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए इजराइल ने कई ऐसे उपाय किए हैं जिनके जरिए वह शांति की हवा में सांस ले सके.
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इजराइल केएम शलोम चेकपोस्ट से गाजा पट्टी के लिए सामानों की सप्लाई होती है. चेक पोस्ट की पूरी तरह किलेबंदी की गई है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां कई बार हमला हो चुका है. इजराइल का आरोप है कि हमास गाजा पट्टी की ओर से लगातार राकेट और दूसरे हथियारों के जरिए हमला करता रहता है. रोज दर्जनों ट्रक रोजमर्रा की जरूरत की चीजें लेकर गाजा पट्टी जाते हैं.
अपनी सुरक्षा के लिए हमेशा से ही सतर्क रहा है इज़राइल
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गाजा पट्टी तकरीबन 25 मील की लंबाई और सात मील की चौड़ाई में है. गाजा पट्टी की पश्चिम की सीमा भूमध्य सागर से लगती है. पूर्व और उत्तर की सीमा जो कि गाजा पट्टी का लगभग 90 फीसदी जमीनी हिस्सा है, इजराइल से ही लगता है. 365 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वाली गाजा पट्टी की आबादी 30 साल में दोगुनी हो गई है. दिसंबर 2021 के आंकड़े के मुताबिक इसकी आबादी 23 लाख से अधिक है. लिहाजा जरूरत भी बहुत बढ़ गई है. गाजा पट्टी से भी इजराइल सामान आता है. इसमें बड़ी मात्रा एलुमिनियम स्क्रैप की होती है. इससे गाजा पट्टी को अच्छी खासी आमदनी होती है.
गाजा पट्टी और इजराइल के बीच विवाद का इतिहास यह है कि जब फिलिस्तीन को अरब यहूदी राज्यों के तौर पर दो हिस्सों में बांट दिया गया और 1948 में इजराइल बना तभी से गाजा पट्टी और इजराइल के बीच संघर्ष का सिलसिला जारी है.
इज़राइल के लिए जान देने वाले अरब मूल के सैनिकों के लिए बना है ख़ास स्मारक और पुराने जेरूसलम शहर की दास्तान…
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हम इजराइल के ऐसे गांव पहुंचे जहां एक तरफ सीरिया है तो दूसरी तरफ लेबनान है. यह गजर गांव है. सीरिया के इस गांव पर इजराइल ने 1967 में कब्जा किया था. यहां लेबनान और हिजबुल्ला के लोग खास तौर पर रूल करते थे. लेकिन 2006 के बाद से यह गांव पूरी तरह से इजराइल के अधीन है. यहां ज्यादातर लोग मुस्लिम हैं.
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