उत्तराखंड : ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करने के लिए एक शख्‍स के संकल्‍प का असर, 7 महीने में खोदे 3500 गड्डे

‘कल के लिए जल’ अभियान में लोगों को जोड़ना हालांकि आसान नहीं था. हिमालयन पर्यावरण जड़ीबूटी एग्रो संस्थान के प्रमुख सेमवाल ने कहा, “वे ध्यानपूर्वक सुन रहे थे, क्योंकि मैंने उनसे पानी बचाने के लिए एक छोटा, लेकिन महत्वपूर्ण योगदान देने, भूमिगत जल स्तर का संभरण करने और तालाब खोदकर पक्षियों तथा जानवरों को प्यास बुझाने का एक साधन प्रदान करने का आग्रह किया था.”

उन्होंने कहा, “शुरुआत में हालांकि लोगों की प्रतिक्रिया काफी उदासीन थी. इसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि मैं ऐसा क्या कर सकता हूं, जिससे बड़ी संख्या में वे एक साथ आएं.”

सेमवाल ने कहा कि जल्द ही उनके दिमाग में एक विचार आया. उन्होंने लोगों से अपने किसी करीबी की याद में जलाशय खोदने या शादी की सालगिरह या जन्मदिन जैसे परिवार में एक महत्वपूर्ण अवसर को चिह्नित करने के लिए ऐसा करने को कहना शुरू कर दिया.

सेमवाल ने कहा, “मैंने मिसाल के लिए अपने दो रिश्तेदारों की याद में पानी के दो गड्ढे खोदे और लोगों ने भी उनका अनुसरण किया. कुछ ने अपने बच्चों का जन्मदिन मनाने के लिए ऐसा किया, तो दूसरों ने अपने पूर्वजों की स्मृति में ऐसा किया.”

सेमवाल के अनुरोध पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें इस साल सितंबर में देहरादून के दुधली के जंगल में उनके जन्मदिन पर एक तालाब खोदने की अनुमति दी थी.

उन्होंने कहा कि लोग अब धीरे-धीरे बड़ी संख्या में इस अभियान से जुड़ रहे हैं. 

उन्होंने कहा, “मैं संतुष्ट हूं कि हमारे प्रयास फल दे रहे हैं. चमकोट गांव में पहले ही 3,500 तालाब या पानी के गड्ढे बन चुके हैं और यह प्रक्रिया जारी है.”

उन्होंने कहा, “अब हम देहरादून में भी ऐसे 1,000 तालाब खोदने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि इस क्षेत्र का घटता भूजल स्तर विशेषज्ञों के बीच चिंता का कारण बन रहा है.”

इस अभियान से ‘गंगा सखी संगठन’ की कम से कम 70 महिला स्वयंसेवक भी जुड़ी हैं.

‘गंगा सखी संगठन’ की अध्यक्ष महेंद्री चमोली ने कहा, “पानी बचाने के इस अभियान में शामिल होकर हमें खुशी हो रही है. हमने मिलकर 3,500 तालाब बनाए हैं. हम अपनी गतिविधियों को नये क्षेत्रों में विस्तारित करने के लिए उत्साहित महसूस कर रहे हैं.”

चामकोट गांव की रहने वाली पार्वती देवी ने कहा कि उन्होंने अपने कुल देवता और पूर्वजों के नाम पर दो तालाब खुदवाए. उन्होंने कहा, “इस पहल ने हमें अपने पूर्वजों का सम्मान करने और समाज के प्रति एक कर्तव्य को पूरा करने का मौका दिया है.”

सेमवाल ने कहा कि प्रत्येक प्रतिभागी न केवल गड्ढे खोद रहा है, बल्कि अभियान के लिए 50 रुपये प्रति माह का योगदान भी दे रहा है. 

ये भी पढ़ें :

* विराट कोहली से कुछ इस तरह मिला उनका फैन, वायरल हुआ Video, देख भावुक हुए लोग

* उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सूखाताल में निर्माण पर रोक लगाई

* उत्तराखंड: गोपेश्वर में खाई में गिरी टाटा सूमो, अब तक कम से कम 12 लोगों की मौत

       

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

Featured Video Of The Day

कर्नाटक : महिला को डिस्चार्ज करने के लिए डॉक्टर ने मांगी रिश्वत, हुई कार्रवाई

Source link

Ground Waterrecharge ground waterUttarakhand