Dev Diwali 2022: कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को देव दीवाली मनाई जाती है. पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि आज यानी 07 अक्टूबर, 2022 को है. ऐसे में इस साल देव दीवाली आज मनाई जा रही है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं में देव दीपावली का खास महत्व है. मान्यता है कि इस दिन देवता गण भी पृथ्वी लोक पर पधारते हैं. देव दीवाली को लेकर काशी के गंगा घाट सजे रहते हैं. इस दिन शाम के समय गंगा आरती के साथ ही नदी में दीपदान किया जाता है. इस दिन दीप दान का खास धार्मिक महत्व बताया गया है. इस दिन लोग अपने घर के मुख्य द्वार पर भी दीपक जलाते हैं. आइए जानते हैं कि इस साल देव दीवाली की पूजा कब करें और इसका शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है.
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देव दीवाली 2022 शुभ मुहूर्त | Dev Diwali 2022 Shubh Muhurat
देव दीवाली 2022 तिथि – 07 नवंबर, 2022
प्रदोष काल देव दीपावली मुहूर्त – 05:14 पी एम से 07:49 पी एम
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 07, 2022 को 04:15 पी एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – नवम्बर 08, 2022 को 04:31 पी एम बजे
अमृत काल शाम 05:15 से शाम 06:54 तक
विजय मुहूर्त दोपहर 01:54 से दोपहर 02:37 तक
गोधूलि मुहूर्त शाम 05:32 से शाम 05:58 तक
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देव दीवाली की पूजा कब करें | When is Dev Diwali puja 2022
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा 7 नवंबर को शाम 4 बजकर 15 मिनट से शरू हो रही है. वहीं पूर्णिमा तिथि 8 नवंबर, 2022 को शाम 4 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में आप देव दीवाली का पूजन शाम 5 बजकर 15 मिनट से शाम 7 बजकर 50 मिनट के बीच कर सकते हैं.
कैसे करें देव दीवाली की पूजा | Dev Diwali Puja Vidhi
देव दीवाली के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा नदी में स्नान करना शुभ होता है. ऐसे में अगर गंगा स्नान करने का संयोग ना बने तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं. इतना करने के बाद भगवान शिव, भगवान विष्णु सहित अन्य देवी-देवताओं की पूजा करें. इसके साथ ही शाम के समय किसी नदी या तालाब में दीपदान करें. अगर नदी या तालाब में दीपदान नहीं कर सकते हैं तो किसी मंदिर में जाकर दीपदान करें.
Dev Diwali 2022: देव दीवाली पर दीपदान का है खास महत्व, जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और विधि
देव दीवाली का महत्व | Dev Diwali 2022 Importance
धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक किसी समय त्रिपुरासुर नामक असुर का देव लोग में भी हाहाकार मचा हुआ था. सभी देवी-देवता उस अत्याचारी असुर से परेशान थे. ऐसे में देवताओं ने इस असुर के अत्याचार से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव पास गए. जिसके बाद उन्होंने भगवान शिव से उसके निवारण के लिए प्रार्थना की. जिसके बाद भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर का वध किया. इसी खुशी में देवी-देवताओं ने मिलकर काशी में दीपदान का उत्सव मनाया. मान्यतानुसार, तभी से आज तक कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीवाली मनाई जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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