मल्लिकार्जुन खड़गे को शीर्ष पद मिलने पर पार्टी के “एक आदमी, एक पद” नियम की वजह से उच्च सदन के पद से हटना पड़ा.
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद अगस्त 2019 में पार्टी की बागडोर संभालने वाली सोनिया गांधी ने अब तक अपने सभी औपचारिक संवादों में केवल ‘अध्यक्ष, कांग्रेस संसदीय दल’ पद का इस्तेमाल किया है.” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे अपने पत्रों में भी उन्होंने कभी खुद को कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में नामित नहीं किया है.
समर्थित उम्मीदवार माने जाने वाले गांधी परिवार के वफादार मल्लिकार्जुन खड़गे के अध्यक्ष बनने पर अब सोनिया गांधी को एक सलाहकार की भूमिका में देखा जा रहा है. खड़गे ने जोर देकर संवाददाताओं से कहा भी था कि जरूरत पड़ने पर वह गांधी परिवार की मदद लेंगे और इसमें कोई शर्म की बात नहीं है.
वहीं आज राहुल गांधी ने भी कहा कि वह पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे को रिपोर्ट करेंगे. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “आपको खड़गे जी और सोनिया जी से पूछना होगा, अध्यक्ष तय करेंगे कि मेरी भूमिका क्या होगी और मुझे कहां इस्तेमाल किया जाए.”
75 वर्षीय सोनिया गांधी दिसंबर 2017 में राहुल गांधी को कार्यभार सौंपने के बाद पार्टी के आंतरिक मामलों से पीछे हट गईं थी, लेकिन अगस्त 2019 में आम चुनाव में हार और पार्टी नेताओं के अनुरोध के बाद उन्हें फिर से पार्टी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी. उस समय, कांग्रेस नेताओं ने कहा था कि जिस नेता ने यूपीए को लगातार दो जीत दिलाई, वह पार्टियों में नई जान फूंकेगा.
हालांकि, सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद भी पार्टी का पतन नहीं रुका, और पिछले तीन सालों में कांग्रेस कई राज्यों में चुनाव हार गई.
नतीजा यह हुआ कि बदलाव के लिए आवाजें उठने लगी. बड़े नेताओं ने भी इसका समर्थन किया, यहां तक कि खुले तौर पर विद्रोह भी हुआ. जैसा कि हाल ही में राजस्थान में अशोक गहलोत के वफादारों द्वारा राजस्थान के मुख्यमंत्री पद को लेकर हुआ था.
आंतरिक चुनाव के लिए अपना वोट डालने के बाद सोनिया गांधी ने कहा था, “मैं इस दिन का लंबे समय से इंतजार कर रही थी.” आज वो मल्लिकार्जुन खड़गे को उनकी जीत पर बधाई देने के लिए उनके घर भी गई.
मल्लिकार्जुन खड़गे ने अध्यक्ष चुनाव में जीत के बाद कहा, ‘मिलकर पार्टी को आगे बढ़ाएंगे’