1885 में स्थापित देश की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी कांग्रेस को बुधवार को लगभग 24 साल बाद मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में पहला गैर-गांधी अध्यक्ष मिल गया है, और उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी सांसद शशि थरूर को भारी अंतर से पराजित किया. लेकिन उनकी राह कतई आसान नहीं रहेगी, क्योंकि पार्टी पिछले कुछ सालों में अधिकतर चुनाव हारी है, बहुत-से वरिष्ठ नेता भी पार्टी छोड़कर चले गए हैं, गाहे-बगाहे विद्रोह के सुर भी सुनाई देते रहे हैं, और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से लड़ने के लिए विपक्षी दल भी गठबंधन में कांग्रेस को शामिल करने के नाम पर जवाब देने से बचते रहे हैं. सो आइए, देखते हैं, कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने पांच सबसे बड़ी चुनौतियां कौन-सी होंगी.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
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मल्लिकार्जुन खड़गे के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती होगी कि अब पार्टी में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की भूमिका कैसे और क्या तय की जाएगी.
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पिछले कुछ सालों में कई बड़े नेता कांग्रेस छोड़कर जा चुके हैं, सो, मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए एक चुनौती यह भी होगी कि अब दामन छोड़ने वाले रुक जाएं.
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कुछ साल पहले कांग्रेस नेतृत्व से नेतृत्व परिवर्तन की मांग करने वाले गुट के अधिकतर नेता अब भी पार्टी में हैं, सो, क्या अब मल्लिकार्जुन खड़गे उन्हें संतुष्ट कर पाएंगे.
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केंद्र में सत्तासीन सरकार के सबसे प्रमुख दोनों नेता PM नरेंद्र मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह बेहद ‘ऊर्जावान’ नेता माने जाते हैं. सो, मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए एख चुनौती यह भी होगी कि वह अब कांग्रेस को उनसे मुकाबला करने के लिए कैसे तैयार कर पाएंगे.
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भारतीय जनता पार्टी (BJP) और मोदी-शाह की जोड़ी से मुकाबला करने के लिए देशभर में विपक्षी पार्टियों के बीच काफी सुगबुगाहट है, और एकजुटता की कोशिशें आम नज़र आती हैं, लेकिन आम चुनाव 2024 के लिए विपक्षी एकता सुनिश्चित करने, और विपक्षी गठबंधन में पार्टी की अहमियत कैसे बनाए रखना भी मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए खासी बड़ी चुनौती साबित होगा.