नई दिल्ली :
साल 1965 की मशहूर फिल्म ‘काजल’ को लोग आज भी देखना पसंद करते हैं. इस फिल्म को राम महेश्वरी ने डायरेक्ट किया था. फिल्म में मीना कुमारी और राज कुमार के अलावा धर्मेंद्र, पद्मिनी, मुमताज, महमूद, दुर्गा खोटे और हेलन भी मुख्य भूमिका में थे. इस फिल्म के सभी गाने हिट थे, लेकिन ‘छू लेने दो नाजुक होठों को’ को एक अलग ही पॉपुलैरिटी मिली. इस गाने को लिखे जाने के पीछे एक बड़ी ही दिलचस्प कहानी है. दरअसल यह गाना राज कुमार और मीना कुमारी पर फिल्माया जाना था. फिल्म का सीन बहुत ही अलग था. इस गाने में राज कुमार अपनी पत्नी मीना कुमारी को जबरदस्ती शराब पीने के लिए मजबूर करते हैं.
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कैसे बना गाना?
इस गाने में राजकुमार को मदहोशी में दिखाया जाना था. साहिर लुधियानवी को यह गाना लिखने का जिम्मा सौंपा गया. फिल्म के म्यूजिक डायरेक्टर ने धुन तैयार की और मोहम्मद रफी इस गाने को गाने वाले थे. ऐसे में साहिर लुधियानवी से कहा गया कि वे इस गाने को केवल दो-तीन शायरी में ही लिख दें. साहिर लुधियानवी ने ऐसा ही किया. पर गाना इतना शानदार बना कि निर्माता इसे और लंबा करना चाहते थे. पर साहिर लुधियानवी को उस दौर में ढूंढना लगभग मुश्किल हो जाता था. वे गाना लिखने के बाद अपनी ही दुनिया में खो जाते थे. इस वजह से यह गाना उतना ही रह गया.
‘छू लेने दो नाजुक होठों’ गाने को मोहम्मद रफी ने गाया था. इस गाने को कुछ इस अंदाज में गाया जाना था, जिसे लगे कि गाने वाला पूरा मदहोशी में है. लेकिन रफी साहब शराब से कोसों दूर ही रहते थे. फिर भी उन्होंने गाने को इस अंदाज में गाया कि यह हिंदी संगीत के इतिहास के क्लासिक्स में शामिल हो गया. इस गाने में जितनी गहरी साहिर की शायरी है, उतनी ही गहरी रफी साहब की आवाज. गुलशन नंदा के उपन्यास ‘माधवी’ पर आधारित यह फिल्म 1965 की सबसे कामयाब फिल्मों में से एक थी. ‘काजल’ के लिए मीना कुमारी को बेस्ट एक्ट्रेस के फिल्म पुरस्कार, जबकि पद्मिनी को बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया.
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