सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया, जिसमें कोर्ट की कार्यवाही के लाइव स्ट्रीमिंग (LIVE Streaming) की प्रक्रिया के कॉपीराइट की सुरक्षा के लिए यूट्यूब (YouTube) के साथ एक विशेष व्यवस्था का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया है. चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने कहा कि अदालत ने अपनी संविधान बेंचों की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग (सीधे प्रसारण) के लिए कदम उठाए हैं. यह भी तय किया गया है कि इस अनुभव से सीखकर इसका दायरा बढ़ाया जा सकता है.
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बेंच ने कहा, “हमें कहीं से शुरुआत करनी थी. इसलिए, हमने संविधान पीठों के साथ शुरुआत की.” इसने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व विचारक केएन गोविंदाचार्य द्वारा दायर एक अंतरिम आवेदन पर नोटिस जारी किया. अदालत के महासचिव और अन्य से जवाब मांगा. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 28 नवंबर को करेगा.
गोविंदाचार्य की ओर से पेश वकील विराग गुप्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता कार्यवाही के सीधे प्रसारण का समर्थन करता है, लेकिन यह इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत के फैसले के अनुसार किया जाना चाहिए. बेंच ने कहा कि यह सब ठीक है. हमने शुरुआत में संविधान बेंचों से कार्यवाही के सीधे प्रसारण के लिए कदम उठाए हैं. फिर इसे आगे तीन जजों की बेंच तक ले जाया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा – हम कदम उठाएंगे
विराग गुप्ता ने तर्क दिया कि सीधे प्रसारण की कार्यवाही पर कॉपीराइट का ‘समर्पण नहीं किया जा सकता और सुप्रीम कोर्ट के डेटा का न तो मुद्रीकरण किया जा सकता है और न ही व्यावसायिक रूप से उपयोग किया जा सकता है. बेंच ने कहा कि आप जो सुझाव दे रहे हैं वह निश्चित रूप से अच्छा है. हम इसके बारे में जानते हैं. हम इससे बेखबर नहीं हैं. हम कदम उठा रहे हैं.
क्या हैं सुप्रीम कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग गाइडलाइंस?
अधिकृत व्यक्ति/इकाई के अलावा कोई भी व्यक्ति/इकाई (प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित) लाइव स्ट्रीम की गई कार्यवाही या अभिलेखीय डेटा को रिकॉर्ड, साझा और/या प्रसारित नहीं करेगा.
यह प्रावधान सभी मैसेजिंग एप्लिकेशन पर भी लागू होगा. इस प्रावधान के विपरीत कार्य करने वाले किसी भी व्यक्ति/संस्था पर कानून के अनुसार मुकदमा चलाया जाएगा. रिकॉर्डिंग और अभिलेखीय डेटा में अदालत के पास विशेष कॉपीराइट होगा.
लाइव स्ट्रीम का कोई भी अनधिकृत उपयोग भारतीय कॉपीराइट अधिनियम, 1957, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और अवमानना के कानून सहित कानून के अन्य प्रावधानों के तहत अपराध के रूप में दंडनीय होगा.
लाइव स्ट्रीम तक पहुंचने वाला कोई भी पक्ष/वादी व्यक्ति इन नियमों से बाध्य होगा.
कोर्ट के पूर्व लिखित प्राधिकरण के बिना, लाइव स्ट्रीम को किसी भी रूप में पुन: प्रस्तुत, प्रेषित, अपलोड, पोस्ट, संशोधित, प्रकाशित या पुन: प्रकाशित नहीं किया जाएगा.
न्यायालय द्वारा अपने मूल रूप में अधिकृत रिकॉर्डिंग के उपयोग की अनुमति समाचार प्रसारित करने और प्रशिक्षण, शैक्षणिक और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए दी जा सकती है. बताए गए उद्देश्यों के लिए सौंपी गई अधिकृत रिकॉर्डिंग को आगे संपादित या संसाधित नहीं किया जाएगा. ऐसी रिकॉर्डिंग का उपयोग किसी भी रूप में वाणिज्यिक, प्रचार उद्देश्यों या विज्ञापन के लिए नहीं किया जाएगा.
कोई भी व्यक्ति न्यायालय द्वारा प्राधिकृत कार्यवाही के अलावा अन्य कार्यवाही को रिकॉर्ड करने या ट्रांसक्रिप्ट करने के लिए रिकॉर्डिंग डिवाइस का उपयोग नहीं करेगा.