मुजफ्फरपुर :
बिहार के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) में एक कॉलेज की छात्रा ने आरोप लगाया कि परीक्षा के दौरान एक पुरुष शिक्षक ने उसको हिजाब निकालने की बात कही. लड़की का आरोप है है कि जब उसने हिजाब निकालने से मना कर दिया तो, टीचर ने उस देशद्रोही कहा. घटना शहर के मिथनपुरा इलाके में स्थित महंत दर्शन दास महिला कॉलेज (एमएमडीएम) की है. वहीं कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ कानू प्रिया ने सभी आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने कहा, “छात्रा को हिजाब पहनने से नहीं रोका गया. उसे केवल अपने कान खोलने के लिए कहा गया था क्योंकि आशंका थी कि उसके पास ब्लूटूथ डिवाइस हो सकता है.
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स्थानीय मिठनपुरा थाने के थाना प्रभारी श्रीकांत सिन्हा ने कहा कि विवाद पर हमने जांच की. हमारे द्वारा दोनों पक्षों की काउंसलिंग की गई और परीक्षा शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई. फिलहाल, मामला दर्ज करने या इलाके में अतिरिक्त बलों की तैनाती की जरूरत नहीं है. लेकिन हमारी इस मामले पर लगातार नजर है.
प्रिंसिपल ने कहा, “हिजाब कोई मुद्दा नहीं था. कई छात्र मोबाइल फोन ले जा रहे थे, जो मानदंडों के खिलाफ था. विचाराधीन लड़की उन लोगों में से थी, जिसको परीक्षा हॉल के बाहर अपने हैंडसेट छोड़ने के लिए कहा गया था.”प्रिंसिपल ने कहा कि लड़की को केवल अपने कान दिखाने के लिए पर्यवेक्षक ने कहा था, क्योंकि उनको यह जांचने की जरूरत थी कि उसके पास ब्लूटूथ डिवाइस तो नहीं है.
प्रिंसिपल ने कहा कि अगर लड़की को इससे कोई समस्या थी, तो वह परीक्षा नियंत्रक या मुझे सूचित कर सकती थी, लेकिन उसके इरादे कुछ और थे. उसने स्थानीय पुलिस और कुछ स्थानीय असामाजिक तत्वों को बुला लिया, जिन्हें वह जानती थी. जब वे पहुंचे तो उन लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया.
छात्रा के क्या हैं आरोप
छात्रा ने दावा किया कि टीचर ने उसको पहले हिजाब निकालने को कहा जब लड़की ने हिजाब निकालने से मना कर दिया तो टीचर ने उसे देशद्रोही कहा. इस टिप्पणी के साथ उसे ताना मारा कि उसे पाकिस्तान जाना चाहिए. इस पर प्रिंसिपल ने कहा कि मैं उस समय परीक्षा हॉल में नहीं था, लेकिन परीक्षा देने आई अन्य लड़कियों ने मुझे बताया कि यह बात झूठ बोल रही थी.
बता दें कि दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की बेंच ने हिजाब को लेकर अलग-अलग फैसला सुनाया था, जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में तीन सदस्यीय बेंच के पास पहुंच गया है.
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