‘लेजिसलेटिव बिजनेस की डिटेल पहले कभी मांगी नहीं गई’: राज्यपाल को पंजाब सरकार का जवाब

पंजाब:

पंजाब सरकार ने राज्यपाल की चिट्ठी का जवाब भेजा है. भगवंत मान सरकार ने कहा कि लेजिसलेटिव बिजनेस की डिटेल ना तो आज से पहले कभी मांगी गई और ना ही विधानसभा सचिवालय की तरफ से पंजाब के राज्यपाल को दी गई. इसलिए इस तरह की मांगी गई जानकारी विधानसभा सत्र बुलाने के लिए नजीर नहीं बन सकती.

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जवाब में कहा गया कि अगर एक बार मंत्री परिषद ने विधानसभा सत्र बुलाने का फैसला किया तो राज्यपाल के लिए बाध्यकारी है, कि वो उसकी अनुमति दे. अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो वह कानून और संविधान के अनुरूप नहीं होगा.

हालांकि सरकार बिना किसी पूर्वाग्रह के इस सत्र के दौरान इस तरह के लेजिसलेटिव बिजनेस का प्रस्ताव रखती है. जिसमें ज्वलंत मुद्दे जैसे जीएसटी, पराली जलाने की समस्या और बिजली के हालात आदि पर चर्चा होगी.

बता दें कि पंजाब में 27 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने पर सरकार और राज्यपाल में तनातनी चल रही है. पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने विधानसभा सत्र बुलाने पर जानकारी मांगी थी कि 27 सितंबर के प्रस्तावित विधानसभा सत्र में क्या-क्या होगा? यानी लेजिसलेटिव बिजनेस की जानकारी दें. इस पर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने नाराजगी जताई थी. इससे पहले राज्यपाल 22 सितंबर को होने वाले विधानसभा सत्र को रद्द कर चुके हैं.

पंजाब के राज्यपाल के इस रवैये से नाराज मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट कर कहा, ‘विधानसभा सत्र से पहले राज्यपाल की अनुमति केवल एक औपचारिकता होती है. 75 सालों में किसी राष्ट्रपति या राज्यपाल ने सत्र बुलाने से पहले लेजिसलेटिव बिजनेस की लिस्ट नहीं मांगी. लेजिसलेटिव बिजनेस, बिजनेस एडवाइजरी कमिटी (BAC) और स्पीकर तय करते हैं. इसके बाद गवर्नर सभी भाषणों को मंजूर कराने के लिए भी कहेंगे. ये तो हद है.’

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